किरण
किरण


तुम्हें ले तो आई हूँ मैं वहाँ से
पड़े थे तुम जहाँ लावारिस
घसीट रहे थे तुम्हें कुत्ते
और बदहवास से तुम रोये जा रहे थे
बहुत जतन से सम्हाला था मैंने तुम्हें
तुम हमारी तपती ज़िंदगी में
फुहार बन कर आये थे।
उतर आया था दूध मेरी सूखी छातियों में
और लगा दिया था मैंने
एक पेड़ तुम्हारे नाम का आंगन में
देखना चाहती थी मैं कि
उसमें अब फूल आते हैं या नहीं
तुम चल रहे थे धीरे धीरे
पेड़ भी बढ़ रहा था धीरे धीरे
हम हो रहे थे मोहित
तुम्हारी हर इक अदा पर
मैं अब खुद को गौरवान्वित
महसूस कर रही थी
क्योंकि तुमने बदल दिए थे
पल में इन नामों के अर्थ
मनहूस, बांझ, कुलटा, कलंकनी
देकर मुझे नया नाम, माँ
सच में तुम मेरी ज़िंदगी के वो सूरज हो
जो लेकर आये हो हमारे
अंधेरे जीवन मे उजाले की किरण