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सोनी गुप्ता

Others

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सोनी गुप्ता

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खतरे में चौथा स्तम्भ

खतरे में चौथा स्तम्भ

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आज लोकतंत्र हमारा खतरे में,

देश में अजीब विडम्बना छाई है,

जब भेद खुल जाए इन जुर्मों के 

जाने किस -किस की,

जान जोखिम में हो जाए I 

कई पत्रकारों ने,

कीमत इसकी चुकाई है,

राज खोल देश के सामने,

जान अपनी गवाई है I 


जीवन करते अपना अर्पण,

अदालतों के लगाते चक्कर हैं,

आज पत्रकारिता ही हमें

अभिव्यक्ति के खतरों का,

एहसास हमें कराता हैं I 

जब दो समुदायों के बीच,

नफरत फैल जाती है,

तब उन ख़बरों से,

वह अवगत हमें कराता है,

आज खतरे है लोकतंत्र 

बचाने का सोचो कोई मंत्र I 



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