कहीं से आ जाए फरिश्ते
कहीं से आ जाए फरिश्ते
डर लगता है मुझे अपनो को खोने से
जब मैं दूर हुई मेरी प्यारी बहन से
उस दिन से ये बन गया मेरा सबसे बड़ा डर
अब कोई पलभर के लिए दूर जाये
तो फ़िक्र रहती मुझे हर पहर।।
जितना डर रहता उतना ही वो पीछा करता
अक्सर मेरे साथ यही है होता
जो मेरे क़रीब है आता
मुझे तकलीफ़ दे के छोड़कर चला जाता।।
दिल से निभाती हूँ सब रिश्ते
तभी प्यार के मिल रहे है मुझे किश्तें
कभी-कभी लगता है कहीं से आ जाए फ़रिश्ते
और ले जाए मुझे किसी ऐसे रास्ते।।
जहाँ पर अपने भी हो, प्यार भी हो
हमेशा साथ भी हो, खोने का डर भी ना हो
हर डर मंजूर है मुझे
अपनो को खोने का डर नहीं सहा जाता मुझसे।।
काश! ऐसा होता ऐ ख़ुदा
कोई कभी अपनों से दूर ना होता....
कोई कभी अपनों से दूर ना होता....
