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Shakuntla Agarwal

Others

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Shakuntla Agarwal

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||"खौफ़"||

||"खौफ़"||

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खौफ़सुदा ही बीतती है ताउम्र,

पल हर - पल कुछ अनहोनी होने का खौफ़,

ऊँगली पकड़ चलने लगे ,लड़खड़ाने का खौफ़

चलने लगे ,गिरने का खौफ़

सीढ़ियाँ चढ़ने लगे, लुढ़कने का खौफ़

पढ़ने लगे, अव्वल आने का खौफ़

अँधेरे में किसी के होने का खौफ़,

जवान हुऐ, शादी न होने का खौफ़

शादी हुई, बच्चें न होने का खौफ़,

बच्चें हो गये, उनको खोने का खौफ़

नौकरी लगी, बेरोज़गार होने का खौफ़,

बुढ़या गये, अकेले जीवन - यापन का खौफ़।


खौफ़ से परे भी है एक जहाँ,

बेइन्तहा आसमाँ,

चैन ओ सुकून से लबरेज़ आसमाँ,

बीते समय को याद न कर,

जो पास नहीं तेरे,

उसकी फ़रियाद न कर,

ज़िन्दगी तो ज़िन्दगी है ज़नाब,

देती तो है, पर लेती भी बहुत है,

ज़िन्दगी अपनी यूँ बर्बाद न कर,

आओ चलें, "शकुन" ऐसे गगन के तले,

जहाँ खौफ़ न हो, अमन - चैन पले !!


             


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