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Vandana Singh

Others

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Vandana Singh

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कब तक चलूंगी मैं

कब तक चलूंगी मैं

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जाने कब तक चलूंगी मैं

किस मोड़ पे जा कर रुकूंगी मैं

ना पाने की खुशी है

ना कुछ खोने का ग़म

किस शख्स से अब ये कहूँगी मैं


दूर तक निकल नहीं पाती अब

जाने किस भय से ग्रसित हूँ

समय के चोट कब तक सहूंगी मैं


साबित क्या करना खुद को

जब सब छूट रहा हाथों से

और किस बहाव में बहुंगी मैं

अंतर्मन के ग्रीष्म से

भाप बन रही हूँ

जाने इस कोप में कब तक तपूंगी मैं

जाने कब तक चलूंगी मैं।



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