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Ahmak Ladki

Others Romance

5.0  

Ahmak Ladki

Others Romance

कैसा ज़हर है

कैसा ज़हर है

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तेरे इंतज़ार में अजब सा असर है

मुझे ज़िंदा रखता है, कैसा ज़हर है


हर गली यहाँ तेरे घर को जाती है

कैसी भूलभुलैया, ये कैसा शहर है


दर्द उसे भी होता होगा आखिर

पत्ते से बिछड़ के रूठा शजर है


साहिल पर ही ठहरी है इंतज़ार में

समुंदर छूती नहीं, कैसी लहर है


तुम्ही से मोहब्बत, तुम्ही से पर्दा

हासिल कुछ नहीं जो खोने का डर है


जब से चली हूँ, पाबंद हूँ इसी में

ख़त्म होता नहीं, कैसा सफ़र है


दर्द बहल जाता है 'अहमक' दिल का

ख़ुदा की नैमत है लिखने का हुनर है


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