काश!बचपन न जाता
काश!बचपन न जाता
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काश! बचपन न जाता।
उम्र बढ़ती पर बचपन न जाता।
मन यू ही खिलखिलाता यू ही गाता।
बचपन जो कभी न जाता।
वह भोलापन सदा साथ रहता,
समझदारों सी समझदारी न लाता।
नासमझ ही बनाता
पर बचपन कभी न जाता
वही खिलौने वही क्रीड़ा
न होती कभी कोई पीड़ा
गीत सदा यह गुनगुनाता
जो बचपन कभी न जाता
बचपन मे जो सबको जीना आता
दुर्घटनाओं का दौर घट जाता
स्वार्थ लोलुपता से
न नाता होता
जो बचपन कभी न जाता
हँसता हँसाता और खिलखिलाता
झूठमूठ का भिड़ता भिड़ाता
पर बचपन कभी न जाता
न रोग न दोष लाता
जीवन सदा तब मुस्काता
जब बचपन कभी न जाता