काँप गई मैं !
काँप गई मैं !
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जब देखा आईना
तो देर तक हँसी मैं
दुनिया को जब
करीब से देखा
तो काँप गई मैं
मेरे सर से जब
जब गुज़रा पानी
तो काँप गई मैं
वो जब तक रहा
रूबरू मेरे तब तक
उसकी कद्र बिलकुल
ही ना कर पाई मैं
जब उस ने दूर
जाने की ठानी
तो काँप गई मैं !