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Kunda Shamkuwar

Others

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Kunda Shamkuwar

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जमीं पर रह

जमीं पर रह

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सवाल न कर

अपने हद में रह

न कोई मशाल उठा

बस जुगनू बन कर रह

न देख आसमाँ को मुड़ मुड़ कर

ज़मीं पर अपने पाँव टिकाकर रह


सूर्य की आग को सह नहीं पाएगा तू

चाँद की तरह रात में ही चमकता रह

न सोच की तू कोई इंसान भी है

तू बस औरों की तरह एक आम शै है

क्यों चाहिए तुम्हें अधिकार भी

हमारी इतनी दया तुम पर क्या कम है?

वजूद वजूद क्या लगा रखा है तुमने?

तू एक कीड़ा है बस जमीं पर रेंगता रह....


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