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manisha sinha

Others

5.0  

manisha sinha

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ज़िंदगी

ज़िंदगी

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ज़िंदगी को मैंने जाना है

कम या अधिक,

मगर जाना है।


कड़वाहटें ही थी, शायद

जिसने सख्त कर दिया

या दिल से मजबूर,

यह हाल किया है।


दोस्तों ने तो वादा

किया था बहुत

मगर राह में मोड़ है,

बिछड़ना पड़ा है।


पास जाने की कोशिश

जिनके भी की

उन ही से मेरी दूरी,

कुछ ज़्यादा है।



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