ज़िम्मेदारी
ज़िम्मेदारी
चला दुनिया से मुख़ातिब होने
लगा था दुनिया तो छोटी है
बढ़ाया पहला क़दम जैसे ही
महसूस हुआ, ये दुनिया इतनी अनोखी है
मेरे जो इरादे थे, मेरा जो अंदाज़ था
उम्मीद तालियों की थी
किये मश्वरात स्कैन तो
ज़्यादा गालियाँ ही थी
सारे मौजूं जो मैंने चुन रखे थे
मुझे लगा था बुनियादी हैं
गौर से किया तहक़ीक़ तो अमल हुआ
सारे मसाएल तो फौलादी हैं
किसी ने क्या खूब बयान किया है
ज़िन्दगी जीने के दो ही तरीक़े होते हैं
एक जो हो रहा है होने दो,
आदत डाल लो बर्दाश्त करने की
या फ़िर ज़िम्मेदारी उठाओ और
कसम खाओ बदल डालने की