जीवन के पन्ने
जीवन के पन्ने
जीवन के पन्नों को पलट कर देख लिया
कुछ ना मिला सिवाय गम के
कुछ हसीन पल था वो ना जाने कहाँ खो गया
कुछ धुंधली सी यादें थी और कुछ अनकही बाते
जो आज भी मैंने अपने दिल के किसी कोने में दबाया हुआ है
जीवन के उस पन्ने को मैंने पलट कर देखा तो था
लेकिन कहीं ना कहीं इस बात का डर भी था
कुछ भूली बिसरी यादें जो मैं छोड़ आया था
अनजाने गलियों में चल कर वो रिश्ता तोड़ आया था
जीवन के पन्नों को पलट कर देख लिया
रह गई थी जिंदगी सिकुड़ कर किसी पत्ते की तरह
जिसे ना किसी बसंत बहार का इंतजार था
और ना किसी सावन के मौसम का..
