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Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Drama Classics

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Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Drama Classics

जीवन के असली रंग

जीवन के असली रंग

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जीवन के असली रंग तो त्योहार के संग ही आते हैं।

त्योहार कोई भी हो, मन के पटाखे फूटे ही जाते हैं।


दिलों में उमंग, घरों में उत्साह का वातावरण होता है।

त्योहार को मनाने के साथ, अपनों से मिलन होता है।


दीवाली पर रंग बिरंगी रोशनी से घर रोशन होते हैं।

नए कपड़े पहनकर लक्ष्मी और गणेश पूजन होते हैं।


स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं और खाए जाते हैं।

मित्रों और रिश्तेदारों के घर जाते और बुलाए जाते हैं।


छोटों से स्नेह मिलता और बड़ों से आशीर्वाद मिलते हैं।

बिछड़े रिश्ते नातों के दिल भी बरसों के बाद मिलते हैं।


मिलने मिलाने का दौर, गिले शिकवे भी दूर करते हैं।

मन के पटाखे फूटते हैं, त्योहार जीवन में रंग भरते हैं।


होली आए, दशहरा आए, धनतेरस या गोवर्धन पूजा।

सच्चा सुख त्योहारों की रौनक से, सुख न कोई दूजा।


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