जीवन दृष्टि
जीवन दृष्टि
सम्मान दें प्रत्येक वस्तु व व्यक्ति को
बढ़ेगा दूसरों की नज़रों में सम्मान आपका भी,
तिरस्कृतों उपेक्षितों परित्यक्तों के लिए प्रेम रखें
उदार व्यक्ति बनता पूजनीय समाज में भी।
भगवान शिव की निहारें जीवन दृष्टि
यहाँ स्थान है धतूरे का,तो भांग व आक का भी,
साथ में कालकूट विष को भी स्थान है
सर्प जैसे जन्मजात विषैले प्राणी को भी स्थान है।
महादेव के जीवन में सब की स्वीकृति है
प्रतिकूलता अनुकूलता में सम भाव है,
सबका सम्मान है यहॉं प्राणी मात्र से प्रेम है,
प्राणिमात्र का हित शिव बनने का मार्ग है ।
केवल एक बिल्व पत्र पर रीझनेवाले भोलेनाथ
सीख देते हैं कि ज़रूरी नहीं आपको इच्छा भर मिले,
कम मिले या जो मिले उसमें संतुष्ट रहना सीखें
आशुतोष बनकर जो मिले सहर्ष स्वीकार करें।