जीने का आनंद,,,,
जीने का आनंद,,,,
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बुझा- बुझा सा मन,
सूना बेजान सा जीवन।
बुझे मन से कैसे जिये कोई
कुछ तो उत्साहित रहे ये मन।
उम्र एक पड़ाव ,एक अंक भर है
साँसों का चलना भी जीवन स्पंदन,
अब तक जिये दूसरों के लिए,
कुछ अपने लिए तो जी लो जीवन।
कुछ शौक ,कुछ एहसास ,कुछ सनक
फिर से पैदा करो अपने इस ख़ाली मन में,
दुगुना हो जाएगा फिर से सूनेपन में
अद्भुत ,अनुपम जीने का आनंद।
