जब भी तुम हो उदास
जब भी तुम हो उदास
जब भी तुम हो उदास
रखना एक यही आस
तू खुद में खुद का बल है
बाकी सब छल है
जैसा भी ये पल है अब है
ना कि कल है
ये जो भी है
सब तेरी सोच का फल है
ना सोच इतना कि कौन कितना सफल है
ये आज भी तेरी भूल है जैसे आँखों में तेरे गिरी धूल है
पता नहीं कल तुझको क्या कबूल है
तेरी राहों में कांटे है या फूल है
यहां सब मिट्टी के पुतले है
राख के ढेर है फिर बता
यहां की कौन दिल - शेर है
जब भी हो तुम उदास
रखना एक यही आस
तू खुद में खुदा तेरे में ख़ास
यही तो है तेरे पास, फिर तू
क्यों रखे इस जग में झूठी आस
तू शून्य से भी कुछ सीख
कुछ ना उसके पास फिर भी
समा लेता सबको ये है उसमें ख़ास
निर्वात में भी कुछ ख़ास है
रखता कुछ ना अपने पास फिर भी
हर प्रयोग में है उसकी बात
अब भी तू है उदास
अनंत की भी एक बात है
खुद को खुद की गहराई का पता नहीं
फिर भी समेटे लाखों आकाशगंगा अपने साथ
फिर भी तो है वो खुद में ख़ास
धरती से पूछ सबको सब है दिया
सबका अच्छा - बुरा सब सहा
फिर भी किसी से ना कुछ कहा
जब जिसको जैसी जरूरत पड़ी
सबको अपने में मिला लिया
हवा तू भी तो कमाल है
जहां से बहती लेती सबको संभाल है
अच्छे - बुरे का तुझको क्या है मलाल
चुप - चाप समेटे सबको
तेरे में ही तो प्राणों का है ख़्याल
नभ समेटे अपने में तारे
जुगनू से लगते है इसमें सारे
ना जाने इसमें कितने सितारे
फिर भी ना रंग पाये नभ को सारे
यही तो नभ तेरी भी खास बात है
क्या अब भी तू है उदास
बादल तेरी भी क्या बात है
भर लाया पानी बन बैठा बड़ा दानी
तर कर दी धरती
बनकर बड़ा बलिदानी
फिर भी नहीं है तू अभिमानी
अब सुन ले सूरज की तू बात
दिया अन्धकार मिटा जग में
फैलाया प्रकाश
कर दिया संचार ऊर्जा का सब में
भर दिया उमँगता का उल्लास
क्या - क्या शब्द लिखूं मेरे मालिक तेरी शान में
देना है तो दे दे यहां मेरे मन में प्यार और विश्वास
तूने प्रकृति का बनाया है क्यों इतना ख़ास
क्या अब भी तू है उदास।