जैसे बारिश में धरती गुनगुनाए
जैसे बारिश में धरती गुनगुनाए
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जैसे बारिश में धरती गुनगुनाए
आओ वैसे ही हम भी गुनगुनाए
सोने का पिंजरा तोड़ पंछी भागा
जब चाहे अपनी मर्ज़ी गुनगुनाए
फूलों का मौसम वहाँ रहता सदा
जिस भी आँगन में बेटी गुनगुनाए
कुदरत का संगीत बहता रहता है
पहाड़ों की चोटी - घाटी गुनगुनाए
बंद ताले के पार से आती आवाजें
संदूक में पुरानी चिट्ठी गुनगुनाए
