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Nirav Rajani "शाद"

Others

4.5  

Nirav Rajani "शाद"

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इंतकाम

इंतकाम

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कई इंतकाम निकलेगे मेरे तुज पर,

ये सोचा नही था।


हो जाऊँगा मै निसार और होंगी यकता,

तेरी बैगनारावी ये सोचा था।


हिज्र तो हो गया था शब -ऐ-माह मैं,

फिर मिलेंगे ये सोचा न था।


मेरी खलिश और गम -ऐ-हस्ती पर तुम,

यूँ पत्थर बने रहोगे ये सोचा न था।


एहतिमाम तो "नीरव" ने किया था मिलने का तुजसे,

तुम गम-ऐ-बज़्म के बेहिस मैं रह जाओगे ये सोचा न था।


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