इंतकाम
इंतकाम
1 min
14.4K
कई इंतकाम निकलेगे मेरे तुज पर,
ये सोचा नही था।
हो जाऊँगा मै निसार और होंगी यकता,
तेरी बैगनारावी ये सोचा था।
हिज्र तो हो गया था शब -ऐ-माह मैं,
फिर मिलेंगे ये सोचा न था।
मेरी खलिश और गम -ऐ-हस्ती पर तुम,
यूँ पत्थर बने रहोगे ये सोचा न था।
एहतिमाम तो "नीरव" ने किया था मिलने का तुजसे,
तुम गम-ऐ-बज़्म के बेहिस मैं रह जाओगे ये सोचा न था।
