ईश प्रार्थना
ईश प्रार्थना
ज्ञान के सागर दया निधान ,
प्रभु हम को दो यह वरदान ।
अपना हित तो सब करते हैं,
करे सदा हम जन कल्याण ।
तृषित जनो का त्रास हरे हम,
निर्धन का संताप हरे ।
निज तन से हित करे सभी का ,
नही किसी का अहित करे ।
मेहनत से ही पाये जग मे,
नही किसी का भाग हरे ।
करे सभी से प्रेम कुटिलता ,
द्वेष दम्भ का त्याग करे।
सत्पथ से ना विचलित हो हम,
फूल मिले या शूल मिले।
मेरे मन का कमल प्रभू ,
तव चरणो मे ही सदा खिले ।
स्वाभिमान मम उर मे भर दो,
दूर करो मेरा अभिमान ।
सारे जग मे फिर छा जाए,
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ।
ज्ञान के सागर दया निधान,
प्रभु हमको दो यह वरदान ।
अपना हित तो सब करते हैं,
करे सदा हम जन कल्याण ।।