“ईमानदारी से कर्म करो”
“ईमानदारी से कर्म करो”
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ईमानदारी से कर्म करो,कभी किसी से नहीं डरो
गांठ बाँध लो बात हमारी ,ऊँची होगी पहचान तुम्हारी
जो हैं डरते सच्चाई से ,कभी न करते सच्चे कर्म।
क्या हुआ जो नहीं मिला ,पर ईमानदारी ही है तेरा सच्चा धर्म
तुमने सोचा है कभी ..
अगर हर जगह हो बईमानी और भ्रष्टाचार,
तो बढ़ जाएगा इनका अत्याचार और व्यापार||
न तोड़ो उन मूल्यों को संस्कारों को ,जो कराह –कराह कर रहे पुकार।
ईमानदारी ही है सच्चा कर्म ,इसी की है तुम्हे दरकार
ईमानदारी से कर्म करो,कभी किसी से नहीं डरो।
गांठ बाँध लो बात हमारी ,ऊँची होगी पहचान तुम्हारी
बईमानी की सेज पर जो बैठा है ,उसके लिए सब सिर्फ पैसा ही पैसा है।
बईमानी का कर्म लगता है ऐसा ,भस्मासुर मुँह खोले बैठा हो जैसा।
ईमानदारी कर रही चीख पुकार बंद करो अब अत्याचार ,
यश ,वैभव के पीछे दौड़ तुमने बहुत लगाई ,
अब आ जाओ सही राह जो राह तुम्हे हमने दिखाई ||
गांठ बाँध लो बात हमारी ,ऊँची होगी पहचान तुम्हारी
जीवन का वचन अनमोल जानो तुम इसका मोल ,
ईमानदारी से कर्म करो बंद करो अब ये झोलम –झोल|
अब तुम इसको पहचानो ,ईमानदारी से कर्म करो और सच्चाई को जानो।
कभी किसी का दिल न दुखाओ ,सभी को प्यार से गले लगाओ।
बुरे कर्म तुम न करना और न किसी को करने देना।
ईमानदारी से कर्म करो,कभी किसी से नहीं डरो।
गांठ बाँध लो बात हमारी ,ऊँची होगी पहचान तुम्हारी।