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Gulab Jain

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Gulab Jain

हसरत तेरी आँखों की मय की

हसरत तेरी आँखों की मय की

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जामो-मीना की क्या ज़रुरत है,

तेरी आँखों की मय की हसरत है।


आज उम्मीद है वो आयेंगे,

बेक़रारी में कितनी लज़्ज़त है।


वादा मिलने का फिर किया उसने,

भूल जाने की जिसकी आदत है।


गर हो सके तो आ कर देख ज़रा,

मेरे दिल में बस तेरी चाहत है।


आग़ाज़े-इश्क़ है यही शायद,

तन्हा रहने में कितनी राहत है।


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