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Dr. Madhukar Rao Larokar

Others

5.0  

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हरियाली

हरियाली

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हरा भरा हो, जीवन सबका

गुलशन में सुमन, खिला हो जैसा।

प्रकृति रहे, प्रदूषण मुक्त

इंसानियत का, श्रृंगार हो ऐसा।।


वृक्ष की जड़ें, हो गहरी

हरियाली की, हो आबादी।

पेड़ पौधे, नष्ट करने वाले

घोषित हों प्रदूषण के आतंकवादी।।


मानव करें प्रगति

विचरें नभ के, शीश पर।

पर रहे, मानवता स्वस्थ

जंग न लगे, हरितिमा के भाल पर।।


नगरी नगरी जंगल जंगल

हरियाली का, ना हो अमंगल।

पेड़ लगाओ, पुण्य पाओ

आज का हो, यह नारा मंगल।।


नियति भी करती निर्णय

हरियाली के, दुश्मनों का।

देकर भीषण गर्मी, पतझड़

हाहाकार देखती, इंसानों का।।


तो मितवा, बांध रख

यह बात, सदा गांठ।

स्वस्थ तनमन है तो विकास है

अप्रदूषण हरियाली, की है सांठ-गांठ। ।


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