होली है
होली है
होली है
हाइकू और दोहा,
राह में टकरा गए,
इक दूजे को घूरा,
और नजरों से ही,
इक दूजे को खा गए,
सायली गर्दन उठाये,
मुस्कुरा रही थी--
कि वर्ण पिरामिड महाशय आ गए,
चौपाई और छंद, थे बहस में मशगूल,
सब इक दूजे से खुद को,
श्रेष्ठ बता गए,
लघु-कथा, लघु कथा से
तो कहानी, धारावाहिक से टकरा गई,
अजब तू-तू, मैं, मैं थी,
मछली बाजार हो ज्यों,
शब्दों का, मात्राओं का,
उधर मोबाइल और लैपटॉप के की बोर्ड,
लगता है, भांग खा गए---
जाने क्या, क्या टाइप कर,
बहुतों को गुस्सा दिला गए,
मची देख ये चिल्लपों,
रचनाकारों का समूह आ गया,
शब्दों की पिचकारी,
व्यंग की बाल्टी,
हंसी के टेसू---
बाल्टी भर-भर,
हर विधा को नहला गए
बोलो होली है
और वो देखो,
दोहा, चौपाई, सायली, हाइकू,
गुझिया खा रहे हैं,
रंग उड़ा रहे हैं
बोलो सा रा रा रा रा!!!!