सब कुछ समझ आने के बावजूद हम औरतें नासमझी का चोगा ओढ़ लेती है. सब कुछ समझ आने के बावजूद हम औरतें नासमझी का चोगा ओढ़ लेती है.
अजब तू-तू, मैं, मैं थी, मछली बाजार हो ज्यों, शब्दों का, मात्राओं का, अजब तू-तू, मैं, मैं थी, मछली बाजार हो ज्यों, शब्दों का, मात्राओं का,