हमारी मित्रता
हमारी मित्रता
और कुछ बात हो ना हो विचार
तो हमारे मिलने चाहिए !
मिलन तो दिवा स्वप्न है पर
फेसबुक से जुड़े रहना चाहिए !!
विचार का आदान -प्रदान
सब दिन यूँ हमारे बने रहे !
प्रेम का मधुर मंत्र कानों
में सदा हमारे गूंजा करे !!
अवसर तो मिलने का शायद
सम्भव कभी हो न सके !
फिर भी हमारा अटूट प्रेम
हमारी लेखनी में मिला करे !!
विभेदों में कभी फँस जाएँ
तो मन में इसे आप ना रखे !
मृदुलता आदर और प्यार से
सदा अपनी बातें कहे !!
मित्रता के बंधनों में बंधने
के लिए समय कुछ लगता है !
मित्रता को तोड़ने में क्षण भर
में अन फ्रेंड सब करता है !!
वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र को
आप अपने ह्रदय में उतार लें !
मित्रता हमारी बनी रहे अक्षुण्ण
इसी बातों को हम स्वीकार लें !!
