हायकू
हायकू
1.
पुष्प सुगंध
प्रकृति के रंग में
चार चांद है।
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2.
मधुर तान
कोयल ने छेड़ी है।
वसंत जान।
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3.
जल अमूल्य
जीवन का आधार
हरित संसार
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4.
नदी कहती
लहरों में जीवन
मचलता है
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5.
कहता पानी
जीवन की कहानी
खोई रवानी
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6.
कहता जाग
न बना रेगिस्तान
जल की मान
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7.
निर्मम बना
यूँ व्यर्थ बहाकर
जल है प्राण
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8.
नब्ज थमी
सांसे रुकने लगी
जल है कहां
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9.
बाकी है अभी
कर्ज चुकाना भू का
पेड़ लगाना
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10.
सर्दी आते ही
पेड़ कटने लगे
विरान धरा
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11.
पेड़ का होना
अस्तित्व है हमारा
मिट रहा है।
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12.
दाने पर है
मोहर किसान की
फलित करो
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13.
कंधे पर हल
देश की पहचान
हमारा किसान
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14.
थमी सी लगी
तुरपाई में व्यस्त
जिंदगी यहां।
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15.
यूं निकला है
जज्बातों का जनाजा
श्रमिक अंत।
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16.
पचपन है
फिर भी बचपन
जीना सफल।
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17.
मनमौजी है
मौत का डर अब
रहा है कहां ।
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18.
शिव का साथ
डमरु का निनाद
मोक्ष का मार्ग।
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19.
स्वर्ग का द्वार
सत्कर्मों का निर्णय
मोक्ष का मार्ग।
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20.
पग स्पर्श से
मनोरथ हो पूरे
मिले आशीष।
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चिंगारी बना
छलाकर किसी से
दर-दर है
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कल्याणी बना
पलकों पर बैठा
सत्संग कृपा
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फंसा बैठा है
लोभ शृंखलाओं में
अज्ञानी नर
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माटी का मोल
सैनिक चुका रहे
जय जवान
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सत्संगी राह
मानवता का जोड़
शीर्ष पर है
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बसंत सजा
इत्र भी फीका पड़ा
बाग महका।
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बाकी है रहा
उधार तुझ पर
धरा ने कहा।
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हादसे बढे
मानसून सक्रिय
सड़कें खुदी।
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शील न हिला
दुनिया की हवा से
सार्थक जिया।
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बन रहे क्यों
किंकर्तव्यविमूढ़
पेड़ लगाओ।
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पेड़ लगाए
तंदुरुस्त बना हूं
लौटा उल्लास।
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