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Shailaja Bhattad

Others

4  

Shailaja Bhattad

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हायकू

हायकू

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1.

पुष्प सुगंध 

प्रकृति के रंग में 

चार चांद है।

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2.

मधुर तान

कोयल ने छेड़ी है। 

वसंत जान।

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3.

जल अमूल्य 

जीवन का आधार

 हरित संसार 

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4.

नदी कहती

 लहरों में जीवन 

मचलता है

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5.

 कहता पानी 

जीवन की कहानी 

खोई रवानी 

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6.

कहता जाग

न बना रेगिस्तान 

जल की मान

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7.

 निर्मम बना 

यूँ व्यर्थ बहाकर 

जल है प्राण

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8.

नब्ज थमी

 सांसे रुकने लगी

 जल है कहां

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9.

 बाकी है अभी

 कर्ज चुकाना भू का 

 पेड़ लगाना 

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10.

सर्दी आते ही

 पेड़ कटने लगे

 विरान धरा

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11.

पेड़ का होना

 अस्तित्व है हमारा

 मिट रहा है।

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12.

 दाने पर है

 मोहर किसान की

 फलित करो

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13.

 कंधे पर हल

 देश की पहचान

 हमारा किसान 

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14.

थमी सी लगी

 तुरपाई में व्यस्त

 जिंदगी यहां।

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15.

 यूं निकला है

 जज्बातों का जनाजा

 श्रमिक अंत।

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16.

पचपन है

 फिर भी बचपन

 जीना सफल।

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17.

 मनमौजी है

 मौत का डर अब

  रहा है कहां ।


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18.

 शिव का साथ

 डमरु का निनाद 

 मोक्ष का मार्ग।

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19.

 स्वर्ग का द्वार

 सत्कर्मों का निर्णय 

 मोक्ष का मार्ग।

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20.

 पग स्पर्श से

 मनोरथ हो पूरे

 मिले आशीष।

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चिंगारी बना 

छलाकर किसी से 

दर-दर है

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 कल्याणी बना

 पलकों पर बैठा

  सत्संग कृपा

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फंसा बैठा है 

लोभ शृंखलाओं में 

अज्ञानी नर 

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माटी का मोल

 सैनिक चुका रहे

 जय जवान

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सत्संगी राह 

मानवता का जोड़ 

शीर्ष पर है

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बसंत सजा

 इत्र भी फीका पड़ा 

 बाग महका।

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बाकी है रहा

 उधार तुझ पर 

धरा ने कहा।

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हादसे बढे 

 मानसून सक्रिय

 सड़कें खुदी।

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शील न हिला

 दुनिया की हवा से

 सार्थक जिया।

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बन रहे क्यों

 किंकर्तव्यविमूढ़ 

पेड़ लगाओ।

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पेड़ लगाए 

तंदुरुस्त बना हूं 

लौटा उल्लास।

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