निखिल कुमार अंजान

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निखिल कुमार अंजान

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हाँ लिख लेता हूँ

हाँ लिख लेता हूँ

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हाँ लिख लेता हूँ 

कुछ खास नहीं है

ज्ञानी नहीं हूँ इसलिए

साहित्य का भान नहीं है


फोन के की बोर्ड पर

उंगलियाँ घुमाता हूँ

नोट पैड पर शब्दों को

जोड़ तोड़

चार पंक्तियाँ लिख

खुश हो जाता हूँ

इसमे कोई बड़ी

बात नहीं है


हाँ लिख लेता हूँ

कुछ खास नहीं है

लिख कर खुद को

अभिव्यक्त कर पाता हूँ

सराहना मिलती है जब

किसी पाठक की

और भी तन्मयता से

एहसासों को शब्दों में

पिरोकर खुद को अभिव्यक्त

कर पाता हूँ


ज्ञानी नहीं हूँ इसलिए

साहित्य का भान नहीं है

नज़्म, गज़ल, मुक्तक,

दोहे, हाइकु, कविता

गीत, लेख, लघुकथा

कहानी आलेख जैसी

विधाओं का कोई भी

ज्ञान नहीं है

हाँ लिख लेता हूँ

कोई बड़ी बात नहीं है


असभ्य हो जाता हूँ लिखते लिखते

किंतु गलत मेरे विचार नहीं है

अंजान को अंजान बनाने के

पीछे साहब

मेरा कोई हाथ नहीं है

ज्ञानी नहीं हूँ इसलिए

साहित्य का भान नहीं है....


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