हाल ए ज़िन्दगी
हाल ए ज़िन्दगी
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क्या करे बयान इस ज़िन्दगी का हाल ऐ नूर
यहां होता वही है ,जो खुदा को होता है मंज़ूर
यह तो है दोस्त, ऐ हमदम दुनियां का दस्तूर
तुम जिसे जितना ज़्यादा चाहोगे हो कर रनजुर
वो ही फिर करता है कुछ इस तरह दिल को चूर
के जीना तो दूर मरना भी हो जाता है हाल ए दस्तूर
ऐ नूर यह तो दे जरा हमे बता क्या था हमारा कुसूर
क्या ये ज़ख़्म ये दर्द मिलना हमे इतना था ज़रूर
वो क्यू खुद में हो गए इतने ज़्यादा मसरूर
के अपनी मुहब्बत से ही हो गए इतने दूर!