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हाइकु
हाइकु
हाइकु
हाइकु
प्रकृति सजी
नव पल्लव आए
सुषमा फैली ॥
पलाश खिला
अग्निवर्णा कुसुम
आकर्षण में ॥
सेमल पुष्प
तरुवर में भरे
पातहीन हो ॥
टेसू के रंग
रंगोत्सव चमके
लाये सुगन्ध ॥
मेरा एकान्त
बरजोरी ले गई
होली में मस्ती ॥
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