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chandraprabha kumar

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chandraprabha kumar

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हाइकु

हाइकु

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  प्रकृति सजी

नव पल्लव आए

 सुषमा फैली ॥


  पलाश खिला

अग्निवर्णा कुसुम

 आकर्षण में ॥


  सेमल पुष्प

 तरुवर में भरे

  पातहीन हो ॥


  टेसू के रंग

रंगोत्सव चमके

 लाये सुगन्ध ॥

              

 मेरा एकान्त 

बरजोरी ले गई

 होली में मस्ती ॥

           


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