गुमराह
गुमराह

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कल हम क्या थे
आज हम क्या है ?
कौन कर रहा है
गुमराह हमें यहां,
और क्यों,
क्या है, स्वार्थ उसका
या है स्वार्थ हमारा
गुमराह होने में,
क्या हम अपनी
चेतना को खोते जा रहे है
या जान कर अनजान है, हम
या ज्ञानचक्षु ने छीन ली है
सोचने समझने की शक्ति
और हम किसी के कहने से
नहीं हुए गुमराह, बल्कि
हमें गुमराह किया
हमारी ज्ञान चेतना ने