ऐ मनुष्य ! काया के इन शुब्बाक को तू खोल ऐ मनुष्य ! काया के इन शुब्बाक को तू खोल
क्या हम अपनी चेतना को खोते जा रहे हैं या जान कर अनजान हैं, हम या ज्ञानचक्षु ने छीन ली है क्या हम अपनी चेतना को खोते जा रहे हैं या जान कर अनजान हैं, हम या ज्ञ...
चक्षु खोलूं तो तुम ओझल हो जाते चक्षु बंद करूं तो तुम प्रगट हो जाते! चक्षु खोलूं तो तुम ओझल हो जाते चक्षु बंद करूं तो तुम प्रगट हो जाते!