Neha Yadav
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ये जो शायरी हम लिखते हैं
तुमसे हजारों अधूरी दास्तां कहते हैंl
समझते तो तुम हो नहीं
मगर फिर भी हम यही गुफ़्तगू बार-बार करते हैं।।
यादों की बारि...
देशहित में
घर छोड़ जाने क...
मकाम हैं हम
मैं तुम का भे...
सच्चाई
वो पहली मुलाक...
विश्वास
संवेदनशील नार...