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मिली साहा

Others

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मिली साहा

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गर्मियां

गर्मियां

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गर्मी के मौसम की इस बार बदल गई चाल,

कोरोना ने किया है इस मौसम का बुरा हाल,

आइसक्रीम की जगह च्यवनप्राश खा रहे हैं,

ठंडी चीजें भूल कर गर्मागर्म काढ़ा पी रहे हैं,


पानी की बोतलें रखते फ्रिज में भर-भर कर,

भूल गए हम ठंडा पीना गर्म पानी पी-पी कर,

अमृत हो गया है सबके लिए गिलोय का काढ़ा,

आंवले का जूस बन गया कोल्ड -ड्रिंक्स हमारा,


पूरा दिन बस चाय, कॉफी, काढ़ा ही तो पीते हैं,

गर्मी में भी अदरक और गोलकी भरपूर खाते हैं,

लॉन्ग, इलायची, दालचीनी, पीपली और हल्दी,

गरम मसालों की बजी बैंड है खत्म होते जल्दी,


सर्दियों में भी कभी इसने मसाले ना खाएं होंगे,

गर्मियों में हम इतने सारे गर्म मसाले कैसे सहेंगे,

अश्वगंधा, सितोपलादि की गर्मी में आई बहार है,

इन चीजों से ही सजा हुआ आज पूरा बाजार है,


तुलसी ड्रॉप्स, नोनी का जूस तो समर स्पेशल है,

हाय कोरोना ने गर्मियों में ये कैसा खेला खेल है,

कितना भी बह जाए पसीना गर्म पानी है पीना,

भूल गए अब हम गर्मी के मौसम का मजा लेना,


ठंडी जगह पे जाने का सपना आंखों में रह गया,

बस टेरेस की हवा खाना हमारे नसीब में रह गया,

एयर कंडीशनर चलाने से भी डरा रहा है करोना,

एक तो गर्मी ऊपर से बुरा हाल कर रहा है करोना,


हाई डिमांड में रहते थे जो एसी, पंखे और कूलर,

लेकिन अब बड़े विख्यात होकर बिक रहे स्टीमर,

कोरोना ने ये कैसा रूप रंग बना दिया गर्मियों का,

गर्मी का एहसास ही छीन लिया उसने इंसानों का।



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