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मजदूरी

मजदूरी

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खाली बरतन खाली झोली

ये कैसी मज़बूरी है

दो रोटी के खातिर करते

दिन भर ये मजदूरी है


गरीब हर पल पिसता है

दर्द आँखो़ से रिसता है

अपनी खामोश निगाहो से

जाने क्या क्या कहता है


मेहनत कर जो मिल जाये

उसमे खुश हो जाते है

ना कल की चिंता

ना आज की फिक्र बस


एक आस मे जीते जाते है

यूँ ही मेहनत करते करते

अपने भी अच्छे दिन आएंगे

खुशियों से जीवन भर जायेंगे।।


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