गणेश वंदना
गणेश वंदना
जय-जय गणपति गौरीनंदन, एकदंत जग भूप है ।
बच्चों के प्रिय बाल गणेशा, मोहक रूप अनूप है ।।
करे सवारी मूषक की है, मोदक-प्रिय शुभ नाम है ।
विघ्न हरे देवा, लंबोदर, मंगल करना काम है ।।
राक्षस का संहार करे हैं, खोले चक्षु कुबेर के ।
धन्य-धन्य है मातु भवानी, नज़र उतारे फेर के ।।
दंभी को प्रतिपल ललकारे, फैली तम में धूप है ।
जय-जय गणपति गौरीनंदन, एकदंत जग भूप है ।।
शंकरसुवन, विनायक अद्भुत, करते भक्त प्रणाम है ।
विघ्र राज के काज निराले, पावन उर प्रभु धाम है।।
जय गजवदन, गजानन तेरी, शुभ गणनायक शुण्ड है ।
मनोकामना कर दे पूरी, नाम सभी शुचि कुण्ड है ।।
मन चंदन वंदन से करते, अतुलित तेरा रूप है।
जय जय गणपति गौरीनंदन, एकदंत जग भूप है।।
तरह-तरह के लड्डू भाये, तिल से उनको प्रेम है ।
सदा विघ्नहर्ता कहलाए, जन्म देव का क्षेम है ।।
महाकाय से विनती करूँ मैं, भालचंद्र गजकर्ण है ।
उनकी मर्जी से ही हिलता, इस क्षिति पर हर पर्ण है।।
मंद बुद्धि को तीव्र करे हैं, ज्ञान नहीं फिर कूप है।
जय-जय गणपति गौरीनंदन, एकदंत जग भूप है।।