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vartika agrawal

Others

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गणेश वंदना

गणेश वंदना

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जय-जय गणपति गौरीनंदन, एकदंत जग भूप है ।

बच्चों के प्रिय बाल गणेशा, मोहक रूप अनूप है ।।


करे सवारी मूषक की है, मोदक-प्रिय शुभ नाम है ।

विघ्न हरे देवा, लंबोदर, मंगल करना  काम है ।।

राक्षस का संहार करे हैं, खोले  चक्षु  कुबेर के ।

धन्य-धन्य है मातु भवानी, नज़र उतारे  फेर के ।।


दंभी को प्रतिपल ललकारे, फैली तम में धूप है ।

जय-जय गणपति गौरीनंदन, एकदंत जग भूप है ।।


शंकरसुवन, विनायक अद्भुत, करते भक्त प्रणाम है ।

विघ्र राज के काज निराले, पावन उर प्रभु धाम है।।

जय गजवदन, गजानन तेरी, शुभ गणनायक शुण्ड है ।

मनोकामना कर दे पूरी, नाम सभी  शुचि कुण्ड है ।।


मन चंदन वंदन से करते, अतुलित तेरा  रूप है।

जय जय गणपति गौरीनंदन, एकदंत जग भूप है।।


तरह-तरह के लड्डू भाये, तिल से उनको प्रेम  है ।

सदा विघ्नहर्ता कहलाए, जन्म देव का क्षेम है ।।

महाकाय से विनती करूँ मैं, भालचंद्र गजकर्ण है ।

उनकी मर्जी से ही हिलता, इस क्षिति पर हर पर्ण है।।


मंद बुद्धि को तीव्र करे हैं, ज्ञान नहीं फिर कूप है।

जय-जय गणपति गौरीनंदन, एकदंत जग भूप है।।



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