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S Ram Verma

Others

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S Ram Verma

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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मैं पल पल तेरी फ़िक्र करती रही

हर पल पल तुझे याद करती रही ;


मैं तुझ पर कवितायेँ गढ़ती रही  

तू पढ़कर भी कभी रोया ही नहीं ;


मैं तेरे इश्क़ में हीर बनती रही

फिर तू क्यों कभी राँझा हुआ नहीं ;


मैं हिज़्र में जमकर झील होती रही

पर तू कभी सूरज बनकर ऊगा नहीं ;


तेरे दीदार को ये ऑंखें तरसती रही ; 

तेरी आँखों में याद मेरी चस्पा नहीं रही !


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