गजल
गजल
तुम्हें हमने दिल जब से बिठाया
तब से इक पल चैन पाया कहाँ है
तेरी जुल्फ ने जाल ऐसा बिछाया
लबों ने तब से हंसाया कहाँ है
तेरा दर्द सीने में ऐसे छुपाया
लाख पूछे दुनिया बताया कहाँ है
झूठे तेरे वादे देखें हैं मैंने
कोई भी तो तूने निभाया कहाँ है
रोज रोज आँखें बहाती है आँसू
देख मैंने तुझ को बताया कहाँ है
अभी से तुम आँखें दिखाने लगे हो
अभी हाले दिल ये बताया कहाँ है
कितने जख्म अब भी रिसते है दिल में
हमने कोई हमदर्द बुलाया कहाँ है
लाख जुल्म सह कर खामोश बैठे
पूछे हमसे दुनिया बताया कहाँ है
याद मुझको सारे वो तन्हाई वादे
जिसे तूने अब तक निभाया कहाँ गए
बहुत पूछा उससे बता मेरी मंजिल
पता मेरी मंजिल बताया कहाँ है
जो तुझ को था मंजूर वही सब कहा है
तूने अपने दिल में बिठाया कहाँ है
छोड़ जिद्द पुरानी पुरानी कहानी
आराम तूने भी पाया कहाँ है
सिर्फ बात दो पल की यूँ ही बीत जाती
उम्र भर कोई साथ निभाया कहाँ है
जब से ये चेहरा देखा मेरी जान
कहीं और कोई भाया कहाँ है
बहुत देर तक उसकी महफ़िल में बैठे
भेद अपने दिल का बताया कहाँ है
मन सब के मैले मैले रहेंगे
अमृत से कोई नहाया कहाँ है
खबर मुझको थी ये क्या होने वाला
मन को फिर भी समझाया कहाँ है
