गीत
गीत
1 min
216
मोहे रास न आए तेरे गीत
कान्हा कहै, राधै रूठ गई है
उसे झूठी लागै मोरी प्रीत
जग बैरी होतो होत हमारा
तू काहै बन न सकै मेरा मीत
मोहे रास न आए तेरे गीत
कान्हा सोचै, राधै क्यों न बुलाती
न कोई संदेस न कागज़ न पत्री
वंशी सुनै कै भी याद न आती
देह से दुरौ रहे, मन तो तेरै पास
काहै छूट गई मेरे सै आस
लगै टूट गई परतीत, तभी बोलै राधै
मोहे रास न आए तेरे गीत
