घर
घर
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बरसों संघर्ष करके हमने,
पाई पाई जोड़ा था।
अपना भी एक दिन घर हो,
मिलकर सपना बुना था।।
आज जब घर की कुंजी मिली,
कोई सपना न रहा शेष।
नन्ही परी के संग हम दोनों,
करते हैं अब ग्रह प्रवेश ।।
प्रेम संतोष के संस्कारों से,
इस बगिया को सीचेंगे।
सुन्दर मकान है, मिलजुल कर,
हम इस घर को सजायेंगे।।