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Rishabh Tomar

Others

5.0  

Rishabh Tomar

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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दो दिल को जो एक बनाये प्रीत वही है

संग अपनों के हर्ष मनाये जीत वही है


सुख में सब प्यारा लगता है मैंने जाना

ग़म को भी मीठा कर दे संगीत वही है


हानि दुःख दर्द से हुआ ह्रदय बंजर है

उसको हरियाली से भर दे गीत वही है


परहित की जो बात उठाये दुनिया में

मोक्षदायिनी भाई केवल नीत वही है


सुख में तो दुनिया आके बाहों में भरती

दुःख में जो भरता आकर मीत वही है



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