गाँव का दृश्य
गाँव का दृश्य
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अद्भुत है दृश्य, यह है गाँव,
कितने है यहाँ, पेड़ पहाड़।
बहती है यहाँ नदियाँ कल कल,
दिल में होने लगती है हल चल।
मास्टर जी बरगद की छाँव में,
बैठ पढ़ाते हैं पहाड़ा।
सुस्ती लगती, झुक-झुक गिरते,
बच्चें हो जाते नौ दो ग्यारह।
मटके पानी के भर भर के,
गोपियाँ घर की ओर चली,
नटखट कान्हा पेड़ पे चढ़ कर,
गुलेल से मटके फोड़ हँसे।
हवा ताज़ी है, जल भी शीतल,
शोर भी है मद्धम-मद्धम।
जल्दी सोना, जल्दी उठना,
नियम निभायें सारे मनु जन।