एक व्यापारी की कथा पुरानी
एक व्यापारी की कथा पुरानी
एक व्यापारी की कथा पुरानी
दो घोड़ो की है यह कहानी
दोनों घोड़ो में था प्रेम बहुत
जान से प्यारे थे व्यापारी को
घोड़े हर सुख -दुःख में
साथ हमेशा रहते थे व्यापारी के
और इसी तरह जीवन चल रहा था
उनका बिना उधारी के
लोग जलते थे घोड़ो से बहुत
कहते बूढ़े हो गए घोड़े अब तो छोड़ दो इनको
व्यापारी को बहुत प्यारे थे ये घोड़े
लोगों की बातों पर कभी ना दिया उसने ध्यान
समय ने करवट बदली
व्यापारी को नुक्सान हो गया भारी
दाने-दाने के हो गए मोहताज
घर छोड़ने की थी अब बारी
किसने सोचा ये काल गति ऐसी आएगी
सब खुशियाँ संग अपने ले जायेगी
व्यापारी का सब कुछ हो गया था नष्ट
सिर्फ बचे थे घोड़े उसके संग
सबने साथ छोड़ दिया पर दोनों घोड़े
भूखे प्यासे पड़े रहे उसके पास
व्यापारी ने घोड़ो को देख हिम्मत दिखाई
दोस्त की परिभाषा आज जानवर ने सिखाई
घोड़ों को साथ लेकर फिर शुरू किया व्यापार
घोड़ों संग ही बनाया अपना फिर से संसार।