एक वायरस कोरोना
एक वायरस कोरोना
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ये कुदरत का कैसा कहर बरपा है
इंसा इंसा से बच कर चलता है
गांव छोड़ कर गए जो अपने सपनों की खातिर
जान पे बन आई तो फिर
आज उन्हीं गलियों में पलटा है
लड़ कर गया था शहर जो बेटा बाप से
फोन पे सुना है वो गांव आने को कहता है
तंग आ गया है अब शहर की चकाचौंध से
अब वो गाँवों में सुकून ढूंढ़ता है
दुनिया परेशान है एक वाइरस कोरोना से
हर तरफ मौत का कहर बरपा है
सीख सकें तो सीख लो कुदरत से
उस खुदा से ऊपर भला कौन रह सकता है
इंसा हो रहो इंसानियत से
बहाओ लहू ऐसा कौन सा धर्म कहता है।
