STORYMIRROR

Chandramohan Kisku

Others

3  

Chandramohan Kisku

Others

एक शाम

एक शाम

1 min
206

एक शाम 

स्कूटी से 

ऑफिस से लौटते समय 

सावन की बारिश ने 

घेर लिया 

भीगने से बचने के लिए 

एक छोटे छज्जे के नीचे

आश्रय लिया...


कुछ पल में ही 

बहुत सारे लोग इकट्ठे हो गये थे 

बारिश की डर से 

भीगने से बचने के लिए 

एक जन दूसरे को 

जगह देते हुए...


कुछ लोगों के सर पर 

पागड़ी था 

कुछ लोगों के गाल में 

दाढ़ी था 

कुछ लोग धोती 

पहने थे 

कुछ लोग केवल 

कौपीन में थे...


यह पूरा - पूरी सत्य था 

कि, वहाँ हिन्दू भी थे 

और मुस्लमान भी 

सिख भी, ईसाई भी 

डोम भी थे 

और कुम्हार भी 

नाई भी थे और चमार भी...


पर बारिश से बचते हुए 

उनके मन में 

जात-पात का विचार 

बिलकुल भी नहीं था 

धर्म की सख्त दिवार को 

तोड़ दिया था 

और छुआछूत की 

बीमारी को 

शरीर से निकाल फेंका था...


बहुत दिनों के बाद 

उस सुनहरी शाम की बेला 

मुझे बहुत अच्छा लगा था...


Rate this content
Log in