पापा का ऑफिस से आना गेट की आवाज़ सुनते ही, किताबे खोल बैठ जाना, मौका मिलते ही, किताब के उप्पर ही ... पापा का ऑफिस से आना गेट की आवाज़ सुनते ही, किताबे खोल बैठ जाना, मौका मिलते ही...
संकट की घडी में हम सब धर्म, जाति, पंथ, संप्रदाय भूलकर साथ आते है... उस वकित कोई भेदभाव नहीं रहता... ... संकट की घडी में हम सब धर्म, जाति, पंथ, संप्रदाय भूलकर साथ आते है... उस वकित कोई ...
बड़ी हो गई और सयानी, दूर हूं उनसे आज, मगर मेरे बचपन की वो गुड़िया, ज़िंदा है मेरे अंदर। बड़ी हो गई और सयानी, दूर हूं उनसे आज, मगर मेरे बचपन की वो गुड़िया, ज़िंदा है मे...