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RASHI SRIVASTAVA

Others

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RASHI SRIVASTAVA

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बचपन की स्मृतियां

बचपन की स्मृतियां

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जहां पे मेरा जन्म हुआ, वहां मैं जब भी जाती हूं

बचपन के अपने प्यारे, लम्हें जीकर आती हूं


पढ़ती, लिखती, नाचती, गाती, मां संग हाथ बंटाती थी

पापा जब आॅफिस से आते, भाग लिपट मैं जाती थी


बड़ी हो गई और सयानी, दूर हूं उनसे आज, मगर

मेरे बचपन की वो गुड़िया, ज़िंदा है मेरे अंदर।


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