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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Others

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

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दूसरों में कमियां देखना

दूसरों में कमियां देखना

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आजकल दूसरों में कमियां देखना तो बहुत आम हो गया

जब उन्हें अपनी कमियां बताई तो उनको जुकाम हो गया

वाह रे मतलबी इंसान, तेरी यह कैसी झूठ की दुकान

तमाशा देखा खूब, अपनी बारी आई तो परेशान हो गया


छद्म, अहम का आजकल जगह-जगह पर मकान हो गया

ईर्ष्या, द्वेष में आज लोगों का मन जहरीला स्थान हो गया

आजकल दूसरों में कमियां देखना तो बहुत आम हो गया

जब उन्हें अपनी कमियां बताई तो उनको जुकाम हो गया


लोभ, लालच में आजकल लोगों का स्वाभिमान खो गया

तनिक स्वार्थ में आजकल भाई, भाई की पहचान खो गया

अंधेरा फैला इस कदर, रोशनी में भी कोई न आता नजर,

चरागों में भी आजकल उजाला अपना ईमान खो गया


स्व दुख से नहीं, दूजों के सुख से दुबला होना आम हो गया

अपनी न दूसरों की ध्यान रखना नजरों का काम हो गया

आजकल दूसरों में कमियां देखना तो बहुत आम हो गया

जब उन्हें अपनी कमियां बताई तो उनको जुकाम हो गया


दूसरों की थाली में सबको ही ज़्यादा घी नजर आता है

अपनी वस्तु छोड़, पराये धन पर सबका जी ललचाता है

अपनी वस्तु छोड़, दूजी में लार टपकाना आज आम हो गया

देख हालात पत्थर-आंखें रोने लगी, कैसा आज जहान हो गया


खुद के लिये चाहते है, आजकल सब ही अच्छा व्यवहार,

पर दूसरे के लिये अच्छा व्यवहार करना अहसान हो गया

आजकल दूसरों में कमियां देखना तो बहुत आम हो गया

जब उन्हें अपनी कमियां बताई तो उनको जुकाम हो गया


अपनी कमीं देखने चला, लोगों के लिये पागल इंसान हो गया 

लोगों को हकीकत क्या बयां कर दी, में बदनाम इंसान हो गया

राह में फूल मिले या शूल मिले, सत्य-पथ से हम कभी न डिगेंगे

साखी के लिये तो सत्य ही बस एकमात्र भगवान हो गया


मर जायेंगे, मिट जाएंगे पर कभी हम झूठ को न अपनाएंगे,

हमारे लिए तो सच-अग्नि में तपना जिंदगी का कलाम हो गया

देखेंगे हम तो सिर्फ खुद की बुराई, दूसरों में देखेंगे बस अच्छाई

इस नजरिये से हमारा तो जीवन दुनिया में बड़ा आसान हो गया


आजकल दूसरों में कमियां देखना तो बहुत आम हो गया

जब उन्हें अपनी कमियां बताई तो उनको जुकाम हो गया

पर निंदा करते-करते हमारी बुराइयों का बखान हो गया

बुराई-पर्वत चढ़ते-चढ़ते, अच्छाई ठोकर से अच्छा इंसान हो गया



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