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सामंत कुमार झा 'साहित्य'

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सामंत कुमार झा 'साहित्य'

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दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार

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जिन्होंने में ग़ज़लें लिखी अनेक,

पर श्रृंगार कि नहीं थी एक।


ग़ज़लें उनमें थी कुछ क्रांति की,

और कुछ ग़ज़लें थी शांति की।


ग़ज़ल को दिया नया आकार,

जिसे किया सभी ने स्वीकार।


लिखा अपना एक पद्य रूप में परिचय

है कई अच्छी कविताओं व ग़ज़ल का संचय।


यात्रा शुरू हुई थी बिजनौर से जो,

भोपाल में ४२ वर्ष की उम्र में हो गई खत्म।


हिन्दी में ग़ज़लों का इन्होंने प्रचलन चलाया,

ग़ज़लें क्रांति के लिए लिखने का चलन चलाया।


कई उनके लेखन शैली से करते हैं इनकार,

पर मुझे है उनकी ग़ज़लों से बहुत प्यार।


वो मेरे एक ही सबसे प्रिय कवि हैं,

अंधकार मिटाने वाले वह रवि है।


दोस्तों के दोस्त थे यारों के वे यार,

ऐसे थे मेरे प्रिय कवि दुष्यंत कुमार।



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