दुःख
दुःख
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नहीं है आलीशान घर तो क्या हुआ
इस झोपड़े में भी मेरे मुन्ने हम खुश रह लेंगे
नहीं है छप्पन भोग तो क्या हुआ
सूखी रोटी खा कर भी हम खुश हो लेंगे
खुशी चेहरे पर हो तो हर
बीमारी से हम दूर रहेंगे
महलो में रहने वालों की खुशी
तो होती दिखावा है
बड़े बड़े स्कूलों में पढ़ते इनके बच्चे
घमंड से होते है भरे हुए
बिगड़ी हुई औलादों का इनको
मिलता है नाम
कद्र नहीं होती इनको रिश्तो की
हम अपने रिश्तों में खुश रहेंगे
मेहनत इतनी करना तू की
सब कुछ हासिल कर पाए तू
नाम इतना करना अपना की
महलों वालों की आँखें चौंधिया जाए