दशहरा
दशहरा
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दुन्दुभी
बजने लगा
विजय -पर्व का
पताका
फहरने लगा,
नगाड़ा बजने लगा !
शत्रुओं में डर
सदा बसने लगा !
हम न छोड़ेंगे
कभी उन शत्रुओं को
पदतल कुचलना है
हमें उन उदंडियों को !
है हमारी कामना
हो विजय सब की यहाँ पर !
शौर्य की गाथा
लिखें हम भाल पर !
हे प्रभु ! हमें
शक्ति देना
हम बुराई से लड़ें
कल्याण सबका हो जगत में
और हम साधक बनें।
